मुक्तक..........

कति लेखुँ पिडाहरु, लेख्दा लेख्दै थाकिसकेँ ।
आफ्नै मुटु टुक्रीएको, देख्दा देख्दै थाकिसकेँ ॥
आउनेहरु भन्दा धेरै, जानेहरु भइदिदाँ...
हात जोडी उनको बाटो, छेक्दा छेक्दै थाकिसकेँ ॥

........महेश भुसाल





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